प्राचीन मिस्र की सभ्यता
- नील नदी की घाटी में मिस्र की सभ्यता विकसित हुई। नील नदी प्राचीन मिस्र की संपत्ति थी, इसलिए अफ्रीका के लोगों ने इसे गंगा की तरह पवित्र मानते थे। मिस्र की सभ्यता बहुत प्राचीन है, लेकिन इसके बारे में पर्याप्त सबूत नहीं मिले हैं।
- वास्तव में मिस्र का राजनीतिक इतिहास 3400 ई. पू. से शुरू होता है। मेनिस मिस्र के पहले राजवंश का प्रथम शासक था। इस सभ्यता को इथियोपी, नूबी और नीलियम लोगों ने बनाया था ।
मिस्र का राजनीतिक इतिहास –
- मिस्र की सभ्यता का इतिहास पिरामिड, सामन्तशाही और साम्राज्यवादी काल से संबंधित है। जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण था, वह पिरामिड युग था।
- मिस्र का राजनीतिक इतिहास तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है क्योंकि मिस्र सभ्यता के दौरान कई अलग-अलग राजनीतिक घटनाएं हुईं:
- 3400 ई.पू. से 2500 ई.पू. तक पहला पिरामिड युग, दूसरा सामन्तशाही युग (2500 ई.पू. से 1800 ई.पू.) और तीसरा साम्राज्यवादी युग (1580 ई.पू. से 1150 ई.पू.)
- पिरामिड का पहला शासक मेनिस था। इसी समय मिस्त्र की वास्तविक राजनीति शुरू हुई।
- फराओ चियोप्स की शक्ति 2580 ई. पू. तक पूरी तरह से कम हो गई।
- पिरामिड युग में फराओ ने अपनी आत्मा को दफनाने के लिए पिरामिड बनाया, जो एक महत्वपूर्ण उपलब्धि था।
- फराओ चियोप्स (खूफू) ने गिजे का पिरामिड बनाया था। नील नदी के दक्षिणी किनारे पर स्थित नेनफिस नगर में अधिकांश पिरामिड बनाए गए थे।
- महान “गीज ऑफ मेडियम” की दीवारें काले और सफेद हैं। रॉ (सूर्य देवता) प्राचीन मिस्र का प्रधान देवता था।
- पिरामिड युग का पतन एक नए सामन्तशाही युग की शुरुआत था। सामन्तशाही युग मिस्र के इतिहास में 2500 ई.पू. से 1800 ई.पू. तक चला।
- सामंतशाही काल में मिस्र के उत्तर से हिकसास जाति ने आक्रमण करके मिस्र को कब्जा कर लिया।
- बाद में पिरामिड युग की जगह नवीन साम्राज्य (साम्राज्यवादी युग) का उदय हुआ।
- इस युग को नवीन साम्राज्य कहते हैं। 1545 ई.पू. से 1524 ई.पू. तक, युटमस प्रथम महान विजेता था, और महारानी हटशेटपुट 1501 ई.पू. से 1479 ई.पू. तक पहली महिला शासिका थी।
- मंदिरों के निर्माण और व्यापार में महारानी का अधिक रुचि थी। उसने "करनक" में एक सुंदर मंदिर बनाया।
- हेरोडोट्स ने मिस्र को “नील नदी की देन” कहा था।
- मिस्र का नेपोलियन थुटमोज तृतीय नाम से जाना जाता है।
मिस्र सभ्यता की प्रमुख विशेषताएँ –
सामाजिक जीवन –
- मिस्र की जनता पर निरंकुश शासन करने वाले शासक फराओं कहलाते थे। उसे लोगों ने ईश्वर का प्रतिनिधि मान लिया था। उच्च वर्ग में सामंत और पुरोहित थे, मध्यम वर्ग में व्यापारी और व्यवसायी थे, और निम्न वर्ग में कृषक और दास थे ।
- लगभग सभी उच्च वर्ग के लोग आभूषण पहनते थे। उनके मनोरंजन के माध्यमों में संगीत, नृत्य, नटबाजी, पशुधन, जुआ आदि शामिल थे। हाथीदांत जड़ित मेजें और कुर्सियाँ, साथ ही बहुमूल्य पर्दें और कालीन सामन्तों के घरों का सौंदर्य बढ़ाते थे।
कृषि व पशुपालन –
- मिस्र में लोगों का मुख्य काम खेती था। कपास, जौ, प्याज और बाजरा खेती की जाती थी । मिस्र में वर्ष में तीन बार फसलें बोई जाती थी, इसलिए उसे "अन्न का भंडार" कहा जाता था।
- पालतू पशुओं में बकरी, गधा, कुत्ता, गाय, ऊंट और सूअर शामिल थे ।
व्यापार व उद्योग –
- मिस्र के लोग धातु, लकड़ी, मिट्टी, काँच, कागज और कपड़े बनाने में कुशल थे। मिस्रवासी ताँबे के अलावा अन्य धातुओं को बाहर से मंगवानी करते थे।
- मिस्र के लोग लकड़ी पर नक्काशी करने और काँच पर चित्र बनाने में भी माहिर थे। वे वस्तुओं का व्यापार करते थे। अरब और इथोपिया से उनका व्यापार था।
धार्मिक जीवन –
- मिस्र के लोगों के देवता रॉ (सूर्य), ओसरिम (नील नदी) और सिन (चंद्रमा) थे । उनके देवता प्राकृतिक शक्तियों का प्रतिनिधित्व करते थे।
- सभ्यता के प्रारंभिक काल में मिस्रवासी बहुदेववादी थे, लेकिन साम्राज्यवादी काल में अखनाटन नामक फराओं ने एकेश्वरवाद की विचारधारा को महत्व दिया और सूर्य की उपासना शुरू की।
ज्ञान विज्ञान –
- मिस्र के लोगों ने सूर्य और तारों के आधार पर वर्ष के 360 दिन की गणना की थी। धूप घड़ी मिश्रियों ने बनाई थी । उन्हें अपनी वर्णमाला भी बनाई गई थी और पेपीरस वृक्ष से कागज बनाया गया था।
पिरामिड –
- मिस्र के लोगों का मानना था कि आत्मा मरने के बाद शव में रहती है। शव पर पहले एक विशेष तेल डालते थे। सैकड़ों वर्षों तक शव इससे नहीं सड़ता था। शवों को सुरक्षित रखने के लिए पिरामिड बनाए जाते थे। “ममी” शवों को पिरामिडों में रखा गया था।
- गिजे का पिरामिड मिस्र के पिरामिड में प्राचीन वास्तुकला का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है। गिजे पिरामिड 755 फीट चौड़ा और 481 फीट ऊँचा है। इसमें २३ लाख पत्थर के टुकड़े २.५ टन के हैं।
- इसके बाहर एक रिफ्क्स या विशालकाय पत्थर की मूर्ति है। मिस्र के लोगों की गणित और ज्यामिति की जानकारी के पिरामिड साक्षी हैं। ऐसे कई पिरामिड आज भी मिस्र में हैं।